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खुशियां आएँगी

यह चकाचौंध है दिखावा सब , उजाला बहार सन्नाटे भीतर , है कोई बीमार , तो कोई अकेला , कैसा यह समाज , कैसा है मेला ।   न हो खिन्न , न रहें अनभिन्न , न घबराए या हो जाए परेशां   हो धार्मिक रहें सच्चाई से , परिपूर्ण हो अपनी अच्छाई में ।   जब मुक्त होंगे स्वाधीनता में , और सूने चेहरे खिल जायेंगे , तब खुशियां आएँगी , तब खुशियां आएँगी   तब खुशियां आएँगी । ।     ----------   किसी को आदर पूर्वक सुनना तुम , जो हक़ उसका , न छीनना तुम , अपनत्व भाव से हो व्यवहार , शांत, सहज , न कोई अत्याचार ।     शोर करे बचपन की थिरकन , खूब खेलें नंगे पाँव आंगन में , सब खुलकर बताएँ , अनुभव अपने , हो उल्लास बड़ा, बतियाने में ।   जब चमकेंगी आँखें तारो सी , और मन से मन मिल जायेंगे , तब खुशियां आएँगी , तब खुशियां आएँगी ,   ढेरों खुशियां आएँगी, अम्बर तक छा जाएँगी ।।   --सुश्री मधुर खन्ना