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रिश्ते मन से होते हैं

रिश्ते मन से होते हैं , ये आत्मा के होते है ।  रिश्ते मन में सोते हैं , ये भावनात्मक होते है । ।  न मिले ज्यादा, न खूब बातें हुई , फिर भी दुःख में उनके, नम आँखें हुई ।  समय नहीं बिताया था, कई साल से , फिर भी दिखा अपनापन, हर बात में । ।  मुस्कुरा के किया था अभिवादन, उन्होंने कभी , उस अपनत्व में मिली थी मिठास बड़ी ।  समझा नहीं कभी, गहरा था ये रिश्ता भी , क़द्र अब आयी, उनके उस पाक रिश्ते की । ।  जब उनके न रहने की खबर, हमें  थी मिली , दिल से एक टीस भरी आवाज़ यह निकली ।  चेहरा दीखता रहा बारम्बार, वह अच्छा भला , काश! जिया होता हमने, कुछऔर साथ तेरा । ।  कि रिश्ते मन में रहते हैं , ये भावना में बहते हैं ।  लेन-देन, व्यव्हार नहीं , ये अनुभव के होते है  । ।  गहरे अनुभव में होते हैं , रिश्ते मन से होते हैं .... Dedicated to a few sweet & caring elders, who I met rarely but good connection was felt. Compiled experience of feelings, for those aunts & uncles, who are remembered fondly, at times, 
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खुशियां आएँगी

यह चकाचौंध है दिखावा सब , उजाला बहार सन्नाटे भीतर , है कोई बीमार , तो कोई अकेला , कैसा यह समाज , कैसा है मेला ।   न हो खिन्न , न रहें अनभिन्न , न घबराए या हो जाए परेशां   हो धार्मिक रहें सच्चाई से , परिपूर्ण हो अपनी अच्छाई में ।   जब मुक्त होंगे स्वाधीनता में , और सूने चेहरे खिल जायेंगे , तब खुशियां आएँगी , तब खुशियां आएँगी   तब खुशियां आएँगी । ।     ----------   किसी को आदर पूर्वक सुनना तुम , जो हक़ उसका , न छीनना तुम , अपनत्व भाव से हो व्यवहार , शांत, सहज , न कोई अत्याचार ।     शोर करे बचपन की थिरकन , खूब खेलें नंगे पाँव आंगन में , सब खुलकर बताएँ , अनुभव अपने , हो उल्लास बड़ा, बतियाने में ।   जब चमकेंगी आँखें तारो सी , और मन से मन मिल जायेंगे , तब खुशियां आएँगी , तब खुशियां आएँगी ,   ढेरों खुशियां आएँगी, अम्बर तक छा जाएँगी ।।   --सुश्री मधुर खन्ना

People pleasing attitude, doesn't work

 I was a people pleaser for around 4 decades, until I happened to realize and understand, my mistake. Trying to please people - listen or agree to their choices, when you really want something else, or initiate conversation again, even when they showed egoistic ways, were common behavior patterns, for me.  I couldn't be assertive for my own requirements, trying to be 'nice' but struggled within. This also made my expectations from others, very high. However, other people would make their choices, as they wanted and also happened to take me for-granted many a times, as I had agreed to them, in the past.  I would go on and on, trying to put others interests first but then there were days, when my emotions would outburst and result in a fight. Even after such a fight, it would be me seeking forgiveness, with them and this cycle repeated many times, within my close circle of family & friends. This kind of submissive way of relating with others doesn't work good for eith...

मित्रता का एहसास

श्रीकृष्ण की पवित्र मित्रता का एहसास जब सुदामा को होता है,  ऐसे एक काल्पनिक प्रसंग पर यह कविता आधारित है  मैंने अपना समझा, सम्मान दिया  इसीलिए तो जरूरत पर कुछ माँगा, मैं  बोलता रहा , तारीफ करता रहा,  मित्र दाता बना बस देता रहा  अपनी भावनाये कह डाली सारी , वह तो राजा था, उसने कुछ न कहा  बस शांति व प्रेम से सुनता रहा, अपनत्व से, इज़्ज़त से देता रहा  मेरे होने न होने से उसको क्या , वह तो था, समृद्ध और संपन्न  मैं यह सोच, कभी गया कभी नहीं , खुद ही जो समझा, फैसला किया  जब उसकी सच्चाई जान पड़ी , तो अश्रुधारा बह निकली है, था गहन प्रेम उस देने में  , मांगने का हक़ समाया भी मैं तो कुछ भी बोल आया , वो मेरी परेशांनी छुपाये रहा, किसी से कुछ भी नहीं कहा , मित्रता निभाई कोई एहसान नहीं  वह भी मुझे याद करता था, तकता था नेत्रों से, राह मेरी , राजा था, कुछ कह न सका   पर महसूस ह्रदय में करता रहा  हाय यह क्या सोचा , क्यों ऐसा किया,  सम्पन्नता से मित्रता को क्यों तोला, वह भी इंसान है, भावनातमक है , प्रेम की उचित प्रतिक्रिया थी देनी...