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हम न्यू डेल्ही में दिल्ली ढूँढ़ते रहे

सफर  में  दिल्ली  कुछ  देर रुकेंगे कुछ  पुराने  लोगों  से  मिलनेगे , दुकानदार  से  नोक-झोंक , रिक्शा  से  खिच - खिच  करेंगे  शहर  देखेंगे,  कुछ  बढ़िया  चीज़ें  खाएंगे।   हम  यह  सोच  कुछ  उत्साहित  थे,  जब  दिल्ली  आया  तो  सावधान  हो  गए  पुराना अनुभव  था लोग  बेवक़ूफ़  बना  सकते है,   इस लिए New Delhi में  metro से  जाना  निश्चित  करे।    Metro की  लम्बी  पंक्ति  व  प्रक्रिया,  सब  लोग चुप  चाप  खड़े, अपने  में  व्यस्त, रेल  आने  पर  पंक्ति  तोड़ी, हुई धक्का  मुक्की व् seat की  दौड़ , फिर  सब  हुए  चुप  अपने - अपने  में  रहे खोये- खोये ।  Train स्वयं  पूरी  जानकारी  देती  थी , रास्ता , स्टेशन  कुछ  पूछना  ही  ...

नन्हे हाथ

वो खेल करते नन्हे हाथ कुछ यादें ले आये थे खोये हुए प्यारे पलों की फरियादे ले आये थे बचपन की दौड़ भाग, छुपने व लड़ाई-लड़ाई का खेल छुटपन का भोलापन, शरारते जैसे कोई पुरानी tale नन्हे हाथ गले में दाल दहियां बेचन के प्यारे पल एक्टिंग का गेम , वो नाचना, कूदना  खोल कर नल सोने से पहले कुछ सुनी कुछ बुनी कहानियाँ कभी सहमना कभी मीठी हंसी की किल्कारिया  नन्हे, मासूम हाथों का विश्वास से हाथ थामना पवित्र सच्चे रिश्ते, भोली ख़ुशी न और कोई कामना

इच्छा

जीवन की शुरुआत इच्छाओं से परिपूर्ण थी सफलता, प्रतिष्ठा, मान हर छेत्र में होड़ थी इच्छाए बहुत ऊंची मनोबल व मेहनत थी कुछ कम मिली सफलता, पद , प्रतिष्ठा पर मात्रा थी कम । कुछ पैसे कुछ उपलब्धियों को हांसिल किया मन में कुछ संतोष कुछ असंतोष महसूस किया क्या यही है वो जिसके लिए मैं प्रयासरत थी न संतोष , न प्रसन्नता, न पूंर्रता ही थी । इस फल से मन आबाद, खुशहाल, संतुष्ट नहीं है इतनी मशक्कत के बाद इछाओ की इच्छा भी न रही है फल का विचार कर प्रयास करना नादानी थी अपने कार्य व रिश्तों में सर्वस्य लुटाने की ठानी थी । जब हमने जीवन को कोई पल इस विचार से जिया है माँगा न कुछ जो दे सके, सब प्रेमपूर्वक दिया है मान , प्रतिष्ठा, संतोष व ख़ुशी फल में मिले हैं स्वयं में शक्ति व विश्वास भी अनुभव हुए है । हाँ यही है वो जिसके लिए मैं वर्षो से प्रयासरत थी Thinking about what you can give not get में mystery छुपी थी इच्छाओं का जड़ से हो दमन अब हमारी यही इच्छा है मन की प्रसन्नता का अच्छाई, दान व प्रेम से गहरा रिश्ता है ।।

क्यूँ

क्यूँ मन है इतना चन्चल क्यूँ समझाना इसे है मुश्किल दिन प्रतिदिन रखना है अटल क्या है इसका कोई हल । कौंधा दिमाग में यह विचार मीठे शब्द बढ़ाते प्यार बुरे शब्द तीर समान देते दुःख करते अपमान । सोचा बोलेंगे सोच विचार मन में कहेंगे दो -तीन -चार रखेंगे भावनओं का ध्यान No अपशब्द  only गुड़गान । सोचेंगे क्या हमें मिला नहीं करेंगे कोई गिला बीते कल पर न रोयेंगे व्यर्थ समय न खोएंगे । बडों को देंगे सम्मान छोटों को प्रेम से दान मानेगें बात बिना कोई शान उच्च विचार व्यवहार समान । किया हमने विचारों पर अमल कुछ पल हुएं हम सफल मन फिर करने लगा हठखेल भूतकाल में क्यूँ हुए फेल । किसी का वार्तालाप न भाया मन दूषित विचार ले आया किया दोषारोपण भुलाया सुविचार अपनी सफ़लता पर मन, मन ही मन मुस्काया । आया गुस्सा  लायाा छोटापन कहे अपशब्द दिए कुछ गम दुखाये दिल नियंत्रण हुआ गुम भूले उच्च विचार, नीच हुए हम । इंसान इसी तरह नीच और उच्च के बीच डोलता है मन वश में हो तो महान वर्ना जानवर होता है इंसानियत के व्यवहार क...