जीवन की शुरुआत इच्छाओं से परिपूर्ण थी
सफलता, प्रतिष्ठा, मान हर छेत्र में होड़ थी
इच्छाए बहुत ऊंची मनोबल व मेहनत थी कुछ कम
मिली सफलता, पद , प्रतिष्ठा पर मात्रा थी कम ।
कुछ पैसे कुछ उपलब्धियों को हांसिल किया
मन में कुछ संतोष कुछ असंतोष महसूस किया
क्या यही है वो जिसके लिए मैं प्रयासरत थी
न संतोष , न प्रसन्नता, न पूंर्रता ही थी ।
इस फल से मन आबाद, खुशहाल, संतुष्ट नहीं है
इतनी मशक्कत के बाद इछाओ की इच्छा भी न रही है
फल का विचार कर प्रयास करना नादानी थी
अपने कार्य व रिश्तों में सर्वस्य लुटाने की ठानी थी ।
जब हमने जीवन को कोई पल इस विचार से जिया है
माँगा न कुछ जो दे सके, सब प्रेमपूर्वक दिया है
मान , प्रतिष्ठा, संतोष व ख़ुशी फल में मिले हैं
स्वयं में शक्ति व विश्वास भी अनुभव हुए है ।
हाँ यही है वो जिसके लिए मैं वर्षो से प्रयासरत थी
Thinking about what you can give not get में mystery छुपी थी
इच्छाओं का जड़ से हो दमन अब हमारी यही इच्छा है
मन की प्रसन्नता का अच्छाई, दान व प्रेम से गहरा रिश्ता है ।।
सफलता, प्रतिष्ठा, मान हर छेत्र में होड़ थी
इच्छाए बहुत ऊंची मनोबल व मेहनत थी कुछ कम
मिली सफलता, पद , प्रतिष्ठा पर मात्रा थी कम ।
कुछ पैसे कुछ उपलब्धियों को हांसिल किया
मन में कुछ संतोष कुछ असंतोष महसूस किया
क्या यही है वो जिसके लिए मैं प्रयासरत थी
न संतोष , न प्रसन्नता, न पूंर्रता ही थी ।
इस फल से मन आबाद, खुशहाल, संतुष्ट नहीं है
इतनी मशक्कत के बाद इछाओ की इच्छा भी न रही है
फल का विचार कर प्रयास करना नादानी थी
अपने कार्य व रिश्तों में सर्वस्य लुटाने की ठानी थी ।
जब हमने जीवन को कोई पल इस विचार से जिया है
माँगा न कुछ जो दे सके, सब प्रेमपूर्वक दिया है
मान , प्रतिष्ठा, संतोष व ख़ुशी फल में मिले हैं
स्वयं में शक्ति व विश्वास भी अनुभव हुए है ।
हाँ यही है वो जिसके लिए मैं वर्षो से प्रयासरत थी
Thinking about what you can give not get में mystery छुपी थी
इच्छाओं का जड़ से हो दमन अब हमारी यही इच्छा है
मन की प्रसन्नता का अच्छाई, दान व प्रेम से गहरा रिश्ता है ।।